खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं सब ग़मों को हम मना कर अपने घर ले आये हैं इस कदर महफूज़ गोशा इस ज़मीन पर अब कहां हम उठा कर दश्त में दीवार-ओ-दर ले आये हैं सनसनाते आसमान में उन पे क्या गुजरी न पूछ आने वाले खून में तर बाल-ओ-पर ले आये हैं देखता हूँ दुश्मनों का एक लश्कर हर तरफ किस जगह मुझको यह मेरी हम-सफर ले आये हैं मैं कि तारीकी का दुश्मन मैं अंधेरों का हरीफ़ इस लिए मुझको इधर अहल-ए-नज़र ले आये हैं From: http://www.blogger.com/post-create.g?blogID=7630026879920558875 , २५-०६-2008
"नियामक" शब्द रुडयार्ड किपलिंग की कविता "If" के हिन्दी अनुवाद मे मुझे मिला था। यह कविता मुझे काफी अच्छी और प्रेरणा स्त्रोत लगी। तब से यह शब्द मेरी जिन्दगी का अहम् और चुनिन्दा शब्द बन गया है। मूल कविता यहाँ पर दी गई है उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी, इस सेक्शन मे आप चुनिंदा कवियों ,लेखकों ,विचारको के विचार इस मुख पृष्ट पर पाएंगे। Copyright© Desh Raj Sirswal