जीवन की, स्थूल आवश्यकताएँ बहुत कुछ हो सकतीं हैं, परन्तु सबकुछ नहीं, कुछ और भी होता है इनके अतिरिक्त, आगे बढ़ो, और वरण कर लो उस एक भावना का जो छलना नहीं, वितृष्णा नहीं, आत्म-प्रवंचना नहीं, वह तो बस पवित्र है , कोमल है, अनश्वर है, अद्भुत है, वह मात्र प्रेम है, और कुछ नहीं॥! लिंक: http://swapnamanjusha.blogspot.com/2011/04/blog-post.html
"नियामक" शब्द रुडयार्ड किपलिंग की कविता "If" के हिन्दी अनुवाद मे मुझे मिला था। यह कविता मुझे काफी अच्छी और प्रेरणा स्त्रोत लगी। तब से यह शब्द मेरी जिन्दगी का अहम् और चुनिन्दा शब्द बन गया है। मूल कविता यहाँ पर दी गई है उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी, इस सेक्शन मे आप चुनिंदा कवियों ,लेखकों ,विचारको के विचार इस मुख पृष्ट पर पाएंगे। Copyright© Desh Raj Sirswal