दीपावली २०११ चलो इस बार फ़िर एक मिट्टी के दिये से दोस्ती करें उसकी टिमटिमाती हल्की पीली लौ में अन्धेरे और रौशनी के सम्बन्धों को परिभाषित करें कि क्या रोशनी और अन्धेरे का युद्ध शाश्वत है या फ़िर रौशनी का सन्दर्भ घना अन्धेरा है? सम्बन्ध द्वेष का है सदा क्या या दोनों की समञ्जस सुन्दरता का? मेरे मित्र तुम्हारी तो किसी दिये दोस्ती होगी ही तुमने तो और दिये से दिए जलाए होंगे अपनी मनुष्यता के फ़र्ज निभाए होंगें तो चलो, इस दीपावली पर इस बार मुझे भी साथ ले चलो मेरी भी किसी मिट्टी के दिये से दोस्ती करा दो उसकी रोशनी में नहला दो, और मुझे आगे के दो कदम चलने का रास्ता तो दिखला दो ! ! ! मिट्टी के दिए की रौशनी से आपको और आपके परिवार को प्रकाश भरी शुभकामनाएँ – सादर आशुतोष आंगिरस Oct 16
"नियामक" शब्द रुडयार्ड किपलिंग की कविता "If" के हिन्दी अनुवाद मे मुझे मिला था। यह कविता मुझे काफी अच्छी और प्रेरणा स्त्रोत लगी। तब से यह शब्द मेरी जिन्दगी का अहम् और चुनिन्दा शब्द बन गया है। मूल कविता यहाँ पर दी गई है उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी, इस सेक्शन मे आप चुनिंदा कवियों ,लेखकों ,विचारको के विचार इस मुख पृष्ट पर पाएंगे। Copyright© Desh Raj Sirswal