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खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं / कुमार पाशी

खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं
सब ग़मों को हम मना कर अपने घर ले आये हैं

इस कदर महफूज़ गोशा इस ज़मीन पर अब कहां
हम उठा कर दश्त में दीवार-ओ-दर ले आये हैं

सनसनाते आसमान में उन पे क्या गुजरी न पूछ
आने वाले खून में तर बाल-ओ-पर ले आये हैं

देखता हूँ दुश्मनों का एक लश्कर हर तरफ
किस जगह मुझको यह मेरी हम-सफर ले आये हैं

मैं कि तारीकी का दुश्मन मैं अंधेरों का हरीफ़
इस लिए मुझको इधर अहल-ए-नज़र ले आये हैं

From: http://www.blogger.com/post-create.g?blogID=7630026879920558875, २५-०६-2008

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अज आखां वारिस शाह नू - अमृता प्रीतम

अज आखां वारिस शाह नू कितों कबरां विचो बोल ! ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल ! इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख -लिख मारे वेन अज लखा धीयाँ रोंदिया तैनू वारिस शाह नू कहन उठ दर्मंदिया दिया दर्दीआ उठ तक अपना पंजाब ! अज बेले लास्सन विछियां ते लहू दी भरी चेनाब ! किसे ने पंजा पानीय विच दीत्ती ज़हिर रला ! ते उन्ह्ना पनिया ने धरत उन दित्ता पानी ला ! जित्थे वजदी फूक प्यार दी वे ओह वन्झ्ली गई गाछ रांझे दे सब वीर अज भूल गए उसदी जाच धरती ते लहू वसिया , क़ब्रण पयियाँ चोण प्रीत दियां शाहज़ादीआन् अज विच म्जारान्न रोण अज सब ‘कैदों ’ बन गए , हुस्न इश्क दे चोर अज किथों ल्यायिये लब्भ के वारिस शाह इक होर aaj आखां वारिस शाह नून कित्तों कबरां विचो बोल ! ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल ! Cited From: http://www.folkpunjab.com/amrita-pritam/aj-akhan-waris-shah-noon/ Date:11-4-2008

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दिल में न हो जुर्रत तो मुहब्बत नहीं मिलती / निदा फ़ाज़ली

दिल में न हो जुर्रत तो मुहब्बत नहीं मिलती ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती कुछ लोग यूँ ही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती देखा था जिसे मैं ने कोई और था शायद वो कौन है जिस से तेरी सूरत नहीं मिलती हँसते हुये चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत रोने को यहाँ वैसे भी फ़ुर्सत नहीं मिलती Cited from: http://hi.literature.wikia.com/wiki ,dated:07-06-2008