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Friend

Art thou abroad on this stormy night on thy journey of love, my friend? The sky groans like one in despair. I have no sleep tonight. Ever and again I open my door and look out on the darkness, my friend! I can see nothing before me. I wonder where lies thy path! By what dim shore of the ink-black river, by what far edge of the frowning forest, through what mazy depth of gloom art thou threading thy course to come to me, my friend? --Rabindranath Tagore Link: http://www.poemhunter.com/poem/friend/ 15-12-2009

Happiness

Happiness is reachable, no matter how long it lasts . We should stop making our lives complicated. Life is short Break the rules forgive quickly kiss passionately, love truly laugh constantly And never stop smiling no matter how strange life is . Life is not always the party we expected to be but as long as we are here, we should smile and be grateful. Sent by a friend on ०९ अप्रैल,2009

भगत सिंह की पसंदीदा शायरी

दिल दे तो इस मिज़ाज़ का परवरदिगार दे जो ग़म की घड़ी को भी खुशी से गुजार दे सजाकर मैयते उम्मीद नाकामी के फूलों से किसी बेदर्द ने रख दी मेरे टूटे हुए दिल में छेड़ ना ऐ फरिश्ते तू जिक्रे गमें जानांना क्यूँ याद दिलाते हो भूला हुआ अफ़साना यह न थी हमारी किस्मत जो विसाले यार होता अगर और जीते रहते यही इन्तेज़ार होता तेरे वादे पर जिऐं हम तो यह जान छूट जाना कि खुशी से मर न जाते अगर ऐतबार होता तेरी नाज़ुकी से जाना कि बंधा था अहदे फ़र्दा कभी तू न तोड़ सकता अगर इस्तेवार होटा यह कहाँ की दोस्ती है (कि) बने हैं दोस्त नासेह कोई चारासाज़ होता कोई ग़म गुसार होता कहूं किससे मैं के क्या है शबे ग़म बुरी बला है मुझे क्या बुरा था मरना, अगर एक बार होता(ग़ालिब) इशरते कत्ल गहे अहले तमन्ना मत पूछ इदे-नज्जारा है शमशीर की उरियाँ होना की तेरे क़त्ल के बाद उसने ज़फा होना कि उस ज़ुद पशेमाँ का पशेमां होना for more details go to: http://bhagatsinghstudy.blogspot.com/

Sirf tum ho

"Meri soch ki udhan hai jahan talak, Wahan tum hi tum ho, Meri nazar ki had hai jahan talak, Wahan tum hi tum ho, Mera sehra hai jahan talak, Barsaat tum hi tum ho, Meri barsaat hai jahan talak, Ghata tum hi tum ho, Mere khawabon ka mehal hai jahaan talak, Har qadam pe tum hi tum ho, Mere dil ki waadi hai jahan talak, Har chehraa tum hi tum ho, Mere chehre pe muskurahat hai jab talak, Muskurahat tum hi tum ho, Meri aankhon ki shararat hai jab talak, Woh sharart tum hi tum ho, Mere pyaar ka sehar hai jahan talak Us sehar mein tum hi tum ho, Mere pyaar ka jaadoo hai jahan talak, Wahan tum hi tum ho, Meri aarzoein bikhrein hai jahan talak, Woh umeed tum hi tum ho, Mujhe sahara hai jahan talak, Woh saheban tum hi tum ho, Mere dil ki khusiyan hai jahan talak, Woh sapne tum hi tum ho, Meri nazar mein chandni hai jahan talak, Woh roshn i tum hi tum ho, Meri umeed ki kirne hai jahan talak, Sab roshniyan tum hi tum ho. By Chandni Ali Sent By Vikram 19-09-2006

Sometimes in life

Sometimes in life, you find a special friend; Someone who changes your life just by being part of it. Someone who makes you laugh until you can't stop; Someone who makes you believe that there really is good in the world. Someone who convinces you that there really is an unlocked door just waiting for you to open it. Sent by Rahul (my brother)

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता / ग़ालिब

न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता डुबोया मुझ को होने ने, न होता मैं तो क्या होता हुआ जब ग़म से यूँ बेहिस तो ग़म क्या सर के कटने का न होता गर जुदा तन से तो ज़ाँनों पर धरा होता हुई मुद्दत के "ग़ालिब" मर गया पर याद आता है वो हर एक बात पे कहना के यूँ होता तो क्या होता Cited from: http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title ,dated १९-१२-2008

ग़ैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी

गैर क्या जानिये क्यों मुझको बुरा कहते हैं आप कहते हैं जो ऐसा तो बज़ा कहते हैं वाकई तेरे इस अन्दाज को क्या कहते हैं ना वफ़ा कहते हैं जिस को ना ज़फ़ा कहते हैं हो जिन्हे शक, वो करें और खुदाओं की तलाश हम तो इन्सान को दुनिया का खुदा कहते हैं तेरी सूरत नजर आई तेरी सूरत से अलग हुस्न को अहल-ए-नजर हुस्न नुमां कहते हैं शिकवा-ए-हिज़्र करें भी तो करें किस दिल से हम खुद अपने को भी अपने से जुदा कहते हैं तेरी रूदाद-ए-सितम का है बयान नामुमकिन फायदा क्या है मगर यूं जो जरा कहते हैं लोग जो कुछ भी कहें तेरी सितमकोशी को हम तो इन बातों अच्छा ना बुरा कहते हैं औरों का तजुरबा जो कुछ हो मगर हम तो फ़िराक तल्खी-ए-ज़ीस्त को जीने का मजा कहते हैं Cited from: http://hi.literature.wikia.com/wiki Dated:१५-१०-2008

साँस लेते हुए भी डरता हूँ / अकबर इलाहाबादी

साँस लेते हुए भी डरता हूँ ये न समझें कि आह करता हूँ बहर-ए-हस्ती में हूँ मिसाल-ए-हुबाब मिट ही जाता हूँ जब उभरता हूँ इतनी आज़ादी भी ग़नीमत है साँस लेता हूँ बात करता हूँ शेख़ साहब खुदा से डरते हो मैं तो अंग्रेज़ों ही से डरता हूँ आप क्या पूछते हैं मेरा मिज़ाज शुक्र अल्लाह का है मरता हूँ ये बड़ा ऐब मुझ में है 'अकबर' दिल में जो आए कह गुज़रता हूँ Cited From: http://hi.literature.wikia.com/wiki,dated;०६-०८-2008

जब तेरी समन्दर आँखों में / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये धूप किनारा शाम ढले मिलते हैं दोंनो वक्त जहाँ जो रात न दिन, जो आज न कल पल भर में अमर, पल भर में धुंआँ इस धूप किनारे, पल दो पल होठों की लपक, बाँहों की खनक ये मेल हमारा झूठ न सच क्यों रार करें, क्यों दोष धरें किस कारण झूठी बात करें जब तेरी समन्दर आँखों में इस शाम का सूरज डूबेगा सुख सोयेंगे घर-दर वाले और राही अपनी राह लेगा Cited from:http://hi.literature.wikia.com/wiki,dated, 25-07-2008

आँख से दूर न हो / फ़राज़

आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा इतना मानूस न हो ख़िल्वत-ए-ग़म से अपनी तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जायेगा तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे और वो बाम-ए-रफ़ाक़त से उतर जायेगा ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवाला तेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा डूबते डूबते कश्ती तो ओछाला दे दूँ मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का "फ़राज़" ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा Advertisement " http://hi.literature.wikia.com/wiki , dated:०५-०७-2008

खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं / कुमार पाशी

खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं सब ग़मों को हम मना कर अपने घर ले आये हैं इस कदर महफूज़ गोशा इस ज़मीन पर अब कहां हम उठा कर दश्त में दीवार-ओ-दर ले आये हैं सनसनाते आसमान में उन पे क्या गुजरी न पूछ आने वाले खून में तर बाल-ओ-पर ले आये हैं देखता हूँ दुश्मनों का एक लश्कर हर तरफ किस जगह मुझको यह मेरी हम-सफर ले आये हैं मैं कि तारीकी का दुश्मन मैं अंधेरों का हरीफ़ इस लिए मुझको इधर अहल-ए-नज़र ले आये हैं From: http://www.blogger.com/post-create.g?blogID=7630026879920558875 , २५-०६-2008

दिल में न हो जुर्रत तो मुहब्बत नहीं मिलती / निदा फ़ाज़ली

दिल में न हो जुर्रत तो मुहब्बत नहीं मिलती ख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती कुछ लोग यूँ ही शहर में हम से भी ख़फ़ा हैं हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती देखा था जिसे मैं ने कोई और था शायद वो कौन है जिस से तेरी सूरत नहीं मिलती हँसते हुये चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत रोने को यहाँ वैसे भी फ़ुर्सत नहीं मिलती Cited from: http://hi.literature.wikia.com/wiki ,dated:07-06-2008

जाएँ तो जाएँ कहाँ / साहिर लुधियानवी

जाएँ तो जाएँ कहाँ समझेगा कौन यहाँ दर्द भरे दिल की जुबाँ जाएँ तो जाएँ कहाँ मायूसियों का मजमा है जी में क्या रह गया है इस ज़िन्दगी में रुह में ग़म दिल में धुआँ जाएँ तो जाएँ कहाँ उनका भी ग़म है अपना भी ग़म है अब दिल के बचने की उम्मीद कम है एक किश्ती सौ तूफ़ाँ जाएँ तो जाएँ कहाँ Cited From:http://hi।literature.wikia.com/wiki/ Dated:०३-०५-2008

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने / दाग़ देहलवी

दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने क्यों है ऐसा उदास क्या जाने कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल is को तुम जानो या ख़ुदा जाने जानते जानते ही जानेगा मुझ में क्या है वो अभी क्या जाने तुम न पाओगे सादा दिल मुझ साजो तग़ाफ़ुल को भी हया जाने

टूटे हुए पर की बात / ज्ञान प्रकाश विवेक

कभी दीवार कभी दर की बात करता था वो अपने उज़ड़े हुए घर की बात करता था मैं ज़िक्र जब कभी करता था आसमानों का वो अपने टूटे हुए पर की बात करता था न थी लकीर कोई उसके हाथ पर यारो वो फिर भी अपने मुकद्दर की बात करता था जो एक हिरनी को जंगल में कर गया घायल हर इक शजर उसी नश्तर की बात करता था बस एक अश्क था मेरी उदास आंखों में जो मुझसे सात समंदर की बात करता था Cited from:" http://hi.literature.wikia.com/wiki , Dated:19-05-2008

मेरी आंखों की पुतली में/जयशंकर प्रसाद

मेरी आँखों की पुतली में तू बनकर प्रान समा जा रे! जिसके कन-कन में स्पन्दन हो, मन में मलयानिल चन्दन हो, करुणा का नव-अभिनन्दन हो वह जीवन गीत सुना जा रे! खिंच जाये अधर पर वह रेखा जिसमें अंकित हो मधु लेखा, जिसको वह विश्व करे देखा, वह स्मिति का चित्र बना जा रे ! Cited From: http://hi.literature.wikia.com/wiki/ ,Dated:०३-०५-2008

आशा का दीपक / रामधारी सिंह "दिनकर"

वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से चमक रहे पीछे मुड देखो चरण-चिनह जगमग से बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है । Cited From: http://hi.literature.wikia.com/wiki , Dated २२-०४-2008

कवि आज सुना वह गान रे/अटल बिहारी वाजपेयी

कवि आज सुना वह गान रे, जिससे खुल जाएँ अलस पलक। नस – नस में जीवन झंकृत हो, हो अंग – अंग में जोश झलक। ये - बंधन चिरबंधन टूटें – फूटें प्रासाद गगनचुम्बी हम मिलकर हर्ष मना डालें, हूकें उर की मिट जायँ सभी। यह भूख – भूख सत्यानाशी बुझ जाय उदर की जीवन में। हम वर्षों से रोते आए अब परिवर्तन हो जीवन में। क्रंदन – क्रंदन चीत्कार और, हाहाकारों से चिर परिचय। कुछ क्षण को दूर चला जाए, यह वर्षों से दुख का संचय। हम ऊब चुके इस जीवन से, अब तो विस्फोट मचा देंगे। हम धू - धू जलते अंगारे हैं, अब तो कुछ कर दिखला देंगे। अरे ! हमारी ही हड्डी पर, इन दुष्टों ने महल रचाए। हमें निरंतर चूस – चूस कर, झूम – झूम कर कोष बढ़ाए। रोटी – रोटी के टुकड़े को, बिलख–बिलखकर लाल मरे हैं। इन – मतवाले उन्मत्तों ने, लूट – लूट कर गेह भरे हैं। पानी फेरा मर्यादा पर, मान और अभिमान लुटाया। इस जीवन में कैसे आए, आने पर भी क्या पाया ? क्रंदन – क्रंदन चीत्कार और, हाहाकारों से चिर परिचय। कुछ क्षण को दूर चला जाए, यह वर्षों से दुख का संचय। हम ऊब चुके इस जीवन से, अब तो विस्फोट मचा देंगे। हम धू - धू जलते अंगारे हैं, अब तो कुछ कर दिखला देंगे। रोना, ...

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी / इक़बाल

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी जिन्दगी शम्मा की सुरत हो ख़ुदाया मेरी दूर दुनिया का मेरे दम अँधेरा हो जाए हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की जीन्नत जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत jindagii हो मेरी परवाने की सुरत या रब इलाम की शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या रब हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना दर्द-मंदों से ज़ैइफ़ों से मोहब्बत करना mere अल्लाह बुराई से बचाना मुझको नेक जो राह हो उस राह पे चलाना मुझको॥ Cited From: http://hi.literature.wikia.com/wiki/,Dated:१६-०४-२००८

22 Vows Dr.Ambedkar

Dr.B.R.Ambedkar prescribed 22 vows to his followers during the historic religious conversion to Buddhism on 15 October 1956 at Deeksha Bhoomi, Nagpur in India. The conversion to Buddhism by 800,000 people was historic because it was the largest religious conversion, the world has ever witnessed. He prescribed these oaths so that there may be complete severance of bond with Hinduism. These 22 vows struck a blow at the roots of Hindu beliefs and practices. These vows could serve as a bulwark to protect Buddhism from confusion and contradictions. These vows could liberate converts from superstitions, wasteful and meaningless rituals, which have led to pauperisation of masses and enrichment of upper castes of Hindus. The famous 22 vows are: I shall have no faith in Brahma, Vishnu and Mahesh nor shall I worship them. I shall have no faith in Rama and Krishna who are believed to be incarnation of God nor shall I worship them. I shall have no faith in ‘Gauri’, Ganapati and other gods and godd...