कभी दीवार कभी दर की बात करता था
वो अपने उज़ड़े हुए घर की बात करता था
मैं ज़िक्र जब कभी करता था आसमानों का
वो अपने टूटे हुए पर की बात करता था
न थी लकीर कोई उसके हाथ पर यारो
वो फिर भी अपने मुकद्दर की बात करता था
जो एक हिरनी को जंगल में कर गया घायल
हर इक शजर उसी नश्तर की बात करता था
बस एक अश्क था मेरी उदास आंखों में
जो मुझसे सात समंदर की बात करता था
Cited from:"http://hi.literature.wikia.com/wiki, Dated:19-05-2008
वो अपने उज़ड़े हुए घर की बात करता था
मैं ज़िक्र जब कभी करता था आसमानों का
वो अपने टूटे हुए पर की बात करता था
न थी लकीर कोई उसके हाथ पर यारो
वो फिर भी अपने मुकद्दर की बात करता था
जो एक हिरनी को जंगल में कर गया घायल
हर इक शजर उसी नश्तर की बात करता था
बस एक अश्क था मेरी उदास आंखों में
जो मुझसे सात समंदर की बात करता था
Cited from:"http://hi.literature.wikia.com/wiki, Dated:19-05-2008