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Friend

Art thou abroad on this stormy night
on thy journey of love, my friend?
The sky groans like one in despair.
I have no sleep tonight.
Ever and again I open my door and look out on
the darkness, my friend!
I can see nothing before me.
I wonder where lies thy path!
By what dim shore of the ink-black river,
by what far edge of the frowning forest,
through what mazy depth of gloom art thou threading
thy course to come to me, my friend? --Rabindranath Tagore

Link:
http://www.poemhunter.com/poem/friend/
15-12-2009

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अज आखां वारिस शाह नू - अमृता प्रीतम

अज आखां वारिस शाह नू कितों कबरां विचो बोल ! ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल ! इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख -लिख मारे वेन अज लखा धीयाँ रोंदिया तैनू वारिस शाह नू कहन उठ दर्मंदिया दिया दर्दीआ उठ तक अपना पंजाब ! अज बेले लास्सन विछियां ते लहू दी भरी चेनाब ! किसे ने पंजा पानीय विच दीत्ती ज़हिर रला ! ते उन्ह्ना पनिया ने धरत उन दित्ता पानी ला ! जित्थे वजदी फूक प्यार दी वे ओह वन्झ्ली गई गाछ रांझे दे सब वीर अज भूल गए उसदी जाच धरती ते लहू वसिया , क़ब्रण पयियाँ चोण प्रीत दियां शाहज़ादीआन् अज विच म्जारान्न रोण अज सब ‘कैदों ’ बन गए , हुस्न इश्क दे चोर अज किथों ल्यायिये लब्भ के वारिस शाह इक होर aaj आखां वारिस शाह नून कित्तों कबरां विचो बोल ! ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल ! Cited From: http://www.folkpunjab.com/amrita-pritam/aj-akhan-waris-shah-noon/ Date:11-4-2008

चुनिंदा शायरी -कंचन

तू रख होंसला वो मंजर भी आएगा। प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा। थक हार कर न रुकना ऐ मंजिल के मुसाफ़िर, मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा। जिंदगी की असली उडान अभी बाकी है। जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी है। अभी तो नापी है मुट्ठी भर  ज़मीन हमने , अभी तो सारा आसमान बाकी है। आंधियों  में भी जैसे कुछ  चिराग़  जला करते हैं। उतनी ही हिम्मत ऐ होंसला हम भी रखा करते हैं। मंजिलों , अभी और दूर है हमारी मंजिल , चाँद सितारें  तो राहों में मिला करते हैं। संग्रहकर्ता : कंचन बी ए 3.  

आशा का दीपक / रामधारी सिंह "दिनकर"

वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से चमक रहे पीछे मुड देखो चरण-चिनह जगमग से बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर नही है । Cited From: http://hi.literature.wikia.com/wiki , Dated २२-०४-2008