अज आखां वारिस शाह नू कितों कबरां विचो बोल ! ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल ! इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख -लिख मारे वेन अज लखा धीयाँ रोंदिया तैनू वारिस शाह नू कहन उठ दर्मंदिया दिया दर्दीआ उठ तक अपना पंजाब ! अज बेले लास्सन विछियां ते लहू दी भरी चेनाब ! किसे ने पंजा पानीय विच दीत्ती ज़हिर रला ! ते उन्ह्ना पनिया ने धरत उन दित्ता पानी ला ! जित्थे वजदी फूक प्यार दी वे ओह वन्झ्ली गई गाछ रांझे दे सब वीर अज भूल गए उसदी जाच धरती ते लहू वसिया , क़ब्रण पयियाँ चोण प्रीत दियां शाहज़ादीआन् अज विच म्जारान्न रोण अज सब ‘कैदों ’ बन गए , हुस्न इश्क दे चोर अज किथों ल्यायिये लब्भ के वारिस शाह इक होर aaj आखां वारिस शाह नून कित्तों कबरां विचो बोल ! ते अज किताब -ऐ -इश्क दा कोई अगला वर्का फोल ! Cited From: http://www.folkpunjab.com/amrita-pritam/aj-akhan-waris-shah-noon/ Date:11-4-2008
"नियामक" शब्द रुडयार्ड किपलिंग की कविता "If" के हिन्दी अनुवाद मे मुझे मिला था। यह कविता मुझे काफी अच्छी और प्रेरणा स्त्रोत लगी। तब से यह शब्द मेरी जिन्दगी का अहम् और चुनिन्दा शब्द बन गया है। मूल कविता यहाँ पर दी गई है उम्मीद है आपको भी पसंद आएगी, इस सेक्शन मे आप चुनिंदा कवियों ,लेखकों ,विचारको के विचार इस मुख पृष्ट पर पाएंगे। Copyright© Desh Raj Sirswal